प्ले स्कूल बदलते वक्त की ऐसी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं जिसमे माता-पिता के कामकाजी होने की वजह से बच्चों को माता-पिता के सानिध्य व प्यार से वंचित होना पड़ता है| इसी कमी को पूरा करते ये संस्थान बच्चों के early development के वर्षों को बहुत ही बेहतरीन तरीके से संवारने में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं और समाज के नव निर्माण में अपना प्रशंसनीय योगदान दे रहे हैं|
21वीं सदी शुरू हो चुकी है और दुनिया विकास के नए आयाम तय कर रही है| बस इसकी पदगति से संतुलन मिलाकर चलते माता-पिता बच्चों को बेहतर भविष्य देने की जद्दोजहद में काम पर निकल जाते हैं, ये सोचकर कि कहीं धन की कमी उनके बच्चो के विकास में बाधा न बन जाए| परन्तु इस कमी को दूर करने की जद्दोजहद में जो सबसे पहली समस्या उनके सामने आती है, वो ये है कि बच्चों को छोड़कर वो कहाँ और कैसे जाएँ? उनके बच्चों को घर जैसी ही देखभाल मिले और खेल-खेल में वो अन्य बच्चों के साथ सीखते भी जाएँ|
आज से लगभग तीस वर्ष पूर्व ही माता-पिता सहित बच्चों की इसी समस्या का समाधान भारतीय परिवेश में किस प्रकार से किया जाए इसका हल अगर किसी ने ढूंढ निकाला तो वो थे ‘SHEMROCK & SHEMFORD ग्रुप ऑफ़ स्कूल्ज’ के प्रणेता डॉक्टर डी आर अरोड़ा और उनकी पत्नी डॉक्टर बिमला अरोड़ा जिन्होंने सन 1989 से लेकर आज तक समग्र भारत सहित दक्षिण एशिया के अन्य देशों में भी प्ले स्कूल श्रंखला की शुरुआत की | इन संस्थाओं को शुरू कर शिक्षित युवाजन सेवा एवं धनार्जन भी कर सकते हैं| तो आइये हम जानते हैं कि एक प्ले स्कूल फ्रैंचाइज़ी कैसे शुरू की जाती है:
क्या हैं प्ले स्कूल बिज़नेस? `
सन 1989 में “SHEMROCK” ग्रुप द्वारा प्रथम प्रीस्कूल चेन खोले जाने के बाद जो परिवेश निकलकर सामने आया उसके अनुसार प्ले स्कूल में तीन से पांच साल के बच्चे सीखने आते हैं जिन्हे प्री नर्सरी, नर्सरी, केजी-1, केजी-2 तक प्रशिक्षित किया जाता है| इसके बदले संस्थान शुल्क ग्रहण करते हैं जो शुल्क स्कूल के नव निर्माण में सहायक होते हैं|
प्ले स्कूल बच्चों के ऐसी रंग बिरंगी दुनिया से सम्बद्ध है जहाँ बच्चे ज्ञान और कौशलता के साथ खेल-खेल में सीखते हैं और बढ़ते हैं| चूँकि बच्चे बहुत छोटे होते हैं इसलिए इन्हे संभालने और सुरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी प्ले स्कूल की ही होती है, लिहाजा स्कूल शुरू करने से पहले इन पर ध्यान देना अनिवार्य है|
प्ले स्कूल की संभावनाएं
भारत में जहाँ माता-पिता अपने बच्चों को अच्छा बनाने के लिए दिन रात संलग्न रहते हैं, वहीँ माता-पिता की आवश्यकताओं पर खरे उतरते इन स्कूलों की बढ़ती आबादी के साथ आर्थिक संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं|
अगर यदि आप ये बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं और बच्चों के बारे में जागरूक हैं, उन्हें संवार कर देश निर्माण में अपना योगदान देना चाहते हैं तो आपके ये जानकार आश्चर्य होगा की सन 2020 तक प्री स्कूलों का बिज़नेस 20,000 करोड़ तक पहुँच जाएगा और हर प्रतिवर्ष इस बिज़नेस में 45 % की वृद्धि दर्ज की जा रही है|
प्ले स्कूल खोलने के लिए अनिवार्य शर्ते कुछ इस प्रकार हैं:
- आप के स्कूल के ट्रस्ट या संस्था में कम से कम तीन सदस्य होने चाहिए|
- भारतीय ट्रस्ट अधिनियम के अंतर्गत आपके स्कूल का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए|
- आप जिस स्थान पर स्कूल शुरू करना चाहते हैं उससे सम्बद्ध अनिवार्य दस्तावेज उपलब्ध होने चाहिए|
प्ले स्कूल बिज़नेस शुरू करने के लिए फ्रैंचाइज़ी व्यवस्था कुछ इस प्रकार हैं:
सन 1989 में प्ले स्कूल कांसेप्ट को भारत में सफलता पूर्वक लागू करने वाले “SHEMROCK” ने भारत में सर्वप्रथम प्ले स्कूल फ्रैंचाइज़ी शुरू की जो अब एक विश्वसनीय ब्रैंड बनकर उभरा है| प्ले स्कूल बिज़नेस में इन कदम रख रहे नए लोगों के लिए फ्रैंचाइज़ी खोलने हैं सबसे बेहतर विकल्प है|
कुछ अग्रणी प्ले स्कूल फ्रैंचाइज़ी:
- SHEMROCK Chain of Preschools
निवेश: 6 से 7 लाख
आवश्यक जगह: 2500 वर्ग फुट
फ्रैंचाइज़ी के लिए संपर्क लिंक: www.shemrock.com
- Kidzee प्ले स्कूल
निवेश: 5 से 10 लाख
आवश्यक जगह: 2500 वर्ग फुट
फ्रैंचाइज़ी के लिए संपर्क लिंक: www.kidzee.com
- Bachpan प्ले स्कूल
निवेश: 8 से 10 लाख
आवश्यक जगह: 1500 से 2000 वर्ग फुट
फ्रैंचाइज़ी के लिए संपर्क लिंक: www.bachpanglobal.com
- Eurokids प्ले स्कूल
निवेश: 10 से 15 लाख
आवश्यक जगह: 2000 वर्ग फुट
फ्रैंचाइज़ी के लिए संपर्क लिंक: www.eurokidsindia.com
- Hello Kids प्ले स्कूल
निवेश: 5 लाख
आवश्यक जगह: 1000 वर्ग फुट
फ्रैंचाइज़ी के लिए संपर्क लिंक: www.hellokids.co.in
प्ले स्कूल शुरू करने के लिए आवश्यक स्टेप्स कुछ इस प्रकार हैं:
- प्ले स्कूल शुरू करने के लिए पहला चरण इंफ्रास्ट्रकचर का चुनाव है|
- प्ले स्कूल कहाँ खोलें इसका पूर्व निर्धारण अनिवार्य है|
- प्ले स्कूल खोलने के लिए रजिस्ट्रेशन|*
- प्ले स्कूल के लिए पाठ्यक्रम का चुनाव|*
- प्ले स्कूल के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति|*
*फ्रैंचाइज़ी लेने पर ये सारी प्रक्रियाएं सरल हो जाती हैं क्योंकि फ्रैंचाइज़ी देने वाला संस्थान इसमें मदद करता है|